नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को चल रहे मानसून सत्र के दौरान संसद में बताया कि 2024 में 26 लाख से अधिक पात्र व्यक्तियों को तपेदिक (टीबी) के खिलाफ निवारक उपचार शुरू किया गया। यह जानकारी उन्होंने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी, जिसमें देश में टीबी उन्मूलन की दिशा में हुई प्रगति को साझा किया गया।
टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय टीबी प्रचलन सर्वेक्षण (2019-21) का हवाला देते हुए, अनुप्रिया पटेल ने कहा कि देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी में अनुमानित 31.3 प्रतिशत क्रूड प्रचलन लेटेंट टीबी संक्रमण का है। लेटेंट टीबी वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति में टीबी के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, लेकिन वह सक्रिय रोग का कारण नहीं बनते। यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक हो सकती है, क्योंकि यह सक्रिय टीबी में बदल सकती है, खासकर उन लोगों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
इस चुनौती से निपटने के लिए, राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) शुरू किया गया है, जो घरेलू संपर्कों और कमजोर आबादी में टीबी संक्रमण की जांच करता है और पात्र व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार प्रदान करता है। पटेल ने बताया कि “2024 में (जनवरी-दिसंबर), 26.72 लाख पात्र व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार शुरू किया गया।” यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को दर्शाता है।
100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान
दिसंबर 2024 में, सरकार ने 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया, जो विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) को समाप्त हुआ। इस अभियान का उद्देश्य प्राथमिकता वाले जिलों में कमजोर आबादी और सघन सेटिंग्स को लक्षित करना था। इस अभियान के तहत, उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कि घरेलू संपर्क, एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति, मधुमेह रोगी, कुपोषित लोग और अन्य कमजोर समुदायों पर विशेष ध्यान दिया गया।
अनुप्रिया पटेल ने बताया कि “कमजोर आबादी की जांच के लिए एक्स-रे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने संसाधन मैपिंग अभ्यास लागू किया और आवश्यकता के आधार पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में एक्स-रे सेवाओं की क्षमता को बढ़ाया गया। इसके लिए एआई-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे का उपयोग किया गया और निजी सुविधाओं की पहचान की गई।” यह तकनीकी नवाचार टीबी जांच को और अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने में मददगार साबित हुआ है।
टीबी उन्मूलन के लिए प्रमुख कदम
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत, टीबी उन्मूलन की दिशा में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- उच्च टीबी बोझ वाले क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप: उन क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया गया जहां टीबी का प्रचलन अधिक है। इन क्षेत्रों में गहन जांच और उपचार सेवाएं प्रदान की गईं।
- मुफ्त दवाएं और निदान: टीबी रोगियों को मुफ्त दवाएं और डायग्नोस्टिक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, ताकि उपचार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
- मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयों के माध्यम से गहन टीबी केस-फाइंडिंग: दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयों का उपयोग किया गया। ये इकाइयां उन क्षेत्रों में टीबी जांच को आसान बनाती हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं।
- आयुष्मान आरोग्य मंदिर में टीबी जांच और उपचार सेवाओं का विकेंद्रीकरण: टीबी जांच और उपचार को प्राथमिक स्वास्थ्य स्तर तक ले जाया गया है, जिससे अधिक से अधिक लोग इन सेवाओं का लाभ उठा सकें।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: टीबी मामलों की अधिसूचना और प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन के साथ निजी क्षेत्र को शामिल किया गया है। इससे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच समन्वय बढ़ा है।
- आणविक डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं का विस्तार: सभी ब्लॉकों में आणविक डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं को बढ़ाया गया है, ताकि टीबी का जल्दी निदान हो सके।
- नि-क्षय पोषण योजना: टीबी रोगियों को उपचार की पूरी अवधि के लिए प्रति माह 1,000 रुपये की पोषण सहायता प्रदान की जा रही है। यह योजना रोगियों के पोषण स्तर को बनाए रखने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करती है।
तकनीकी नवाचार और भविष्य की योजनाएं
टीबी उन्मूलन के लिए तकनीकी नवाचारों का उपयोग भारत में इस लड़ाई को और मजबूत कर रहा है। एआई-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे उपकरणों का उपयोग न केवल जांच को तेज कर रहा है, बल्कि यह ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी प्रभावी साबित हो रहा है। इसके अलावा, मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयों ने उन समुदायों तक पहुंच बनाई है जो पहले स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित थे।
आयुष्मान भारत योजना के तहत स्थापित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों ने टीबी जांच और उपचार को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के स्तर तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विकेंद्रीकरण रणनीति सुनिश्चित करती है कि टीबी रोगियों को समय पर उपचार मिले और बीमारी का प्रसार कम हो।
निजी क्षेत्र की भागीदारी ने भी टीबी उन्मूलन में एक नया आयाम जोड़ा है। निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन देकर और उनके साथ समन्वय स्थापित करके, सरकार ने टीबी मामलों की अधिसूचना और उपचार की प्रक्रिया को और मजबूत किया है।
टीबी उन्मूलन के लिए भारत का संकल्प
भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों से पांच साल पहले है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार ने कई स्तरों पर प्रयास तेज किए हैं। 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान जैसे पहल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके अलावा, नीति-निर्माण से लेकर जमीनी स्तर तक समन्वित प्रयासों ने टीबी के खिलाफ लड़ाई को और प्रभावी बनाया है।
अनुप्रिया पटेल ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि सरकार टीबी उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए सभी आवश्यक संसाधनों को जुटाने और उपयोग करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि “टीबी के खिलाफ लड़ाई में सभी हितधारकों, जिसमें राज्य सरकारें, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठन और समुदाय शामिल हैं, की भागीदारी महत्वपूर्ण है।”
2024 में 26.72 लाख व्यक्तियों को टीबी निवारक उपचार शुरू करना भारत के टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उठाए गए कदम, जैसे कि तकनीकी नवाचार, निजी क्षेत्र की भागीदारी, और पोषण सहायता, इस लड़ाई को और मजबूत कर रहे हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और मोबाइल डायग्नोस्टिक इकाइयों जैसे प्रयासों ने टीबी जांच और उपचार को हर कोने तक पहुंचाने में मदद की है।
भारत का यह संकल्प कि वह 2025 तक टीबी मुक्त हो जाएगा, न केवल एक राष्ट्रीय लक्ष्य है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार, स्वास्थ्य पेशेवरों, और समुदाय के संयुक्त प्रयासों से, भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।