केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025 तक तीन राज्यों में 18 मेडटेक निर्माताओं को 133.95 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है। यह जानकारी स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी। इस राशि का वितरण मेडिकल डिवाइसेज के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत किया गया है। इस योजना के तहत गुजरात की छह मेडटेक कंपनियों को 40.14 करोड़ रुपये, कर्नाटक की आठ कंपनियों को 49.37 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र की चार मेडिकल डिवाइस निर्माता कंपनियों को 44.44 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं।
पीएलआई योजना का उद्देश्य और संरचना
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य देश में मेडिकल डिवाइसेज के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत करना है। यह योजना मेडटेक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार सृजन और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई है।
मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि पीएलआई योजना के तहत पांच साल की अवधि (वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक) के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। अब तक इस योजना के पहले तीन वर्षों, यानी वित्तीय वर्ष 2024-25 तक, के लिए प्रोत्साहन राशि वितरित की जा चुकी है। इस अवधि के लिए कुल बजटीय आवंटन (संशोधित अनुमान) 154.63 करोड़ रुपये है। इस राशि में से 133.95 करोड़ रुपये का वितरण पहले ही हो चुका है, जो योजना की प्रगति और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
राज्यवार वितरण और प्रभाव
गुजरात
गुजरात में छह मेडटेक कंपनियों को 40.14 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। ये कंपनियां मेडिकल डिवाइसेज के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। गुजरात, जो पहले से ही अपने औद्योगिक विकास के लिए जाना जाता है, अब मेडटेक क्षेत्र में भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। पीएलआई योजना के तहत प्राप्त धनराशि से इन कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और तकनीकी उन्नति करने में मदद मिलेगी।
कर्नाटक
कर्नाटक में आठ मेडटेक निर्माताओं को 49.37 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। कर्नाटक, जो भारत का तकनीकी और नवाचार केंद्र है, मेडिकल डिवाइसेज के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति कर रहा है। इस प्रोत्साहन राशि का उपयोग स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल डिवाइसेज के उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने में किया जाएगा।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की चार मेडिकल डिवाइस निर्माता कंपनियों को 44.44 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। यह राज्य अपने मजबूत औद्योगिक आधार और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। मेडटेक क्षेत्र में पीएलआई योजना के तहत प्राप्त प्रोत्साहन से महाराष्ट्र की कंपनियां न केवल घरेलू बाजार की मांग को पूरा करेंगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी बन सकेंगी।
अन्य राज्यों में योजना का विस्तार
मंत्री ने यह भी बताया कि 13 अन्य घरेलू निर्माता आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में अपनी स्वीकृत परियोजनाओं को विभिन्न चरणों में लागू कर रहे हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने और आवश्यक मानदंडों को पूरा करने के बाद, ये निर्माता भी पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के पात्र होंगे। इससे देश के विभिन्न हिस्सों में मेडटेक क्षेत्र का और विस्तार होगा, जिससे भारत की मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद मिलेगी।
आयातित मेडिकल डिवाइसेज पर जानकारी का अभाव
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग आयातित विदेशी मेडिकल डिवाइसेज की कुल संख्या का कोई डेटा रखरखाव नहीं करता है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है, क्योंकि भारत अभी भी कई मेडिकल डिवाइसेज के लिए आयात पर निर्भर है। पीएलआई योजना का उद्देश्य इस निर्भरता को कम करना और देश में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है।
पीएलआई योजना के व्यापक लाभ
पीएलआई योजना न केवल मेडटेक कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, बल्कि यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस योजना के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: पीएलआई योजना के तहत मेडिकल डिवाइसेज का घरेलू उत्पादन बढ़ने से भारत की आयात पर निर्भरता कम होगी। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, जैसे कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया, देश की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।
- रोजगार सृजन: मेडटेक क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ने से नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे न केवल कुशल पेशेवरों को रोजगार मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए भी अवसर बढ़ेंगे।
- तकनीकी नवाचार: पीएलआई योजना कंपनियों को अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे उच्च गुणवत्ता वाले और नवीन मेडिकल डिवाइसेज का विकास होगा, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप होंगे।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: स्वदेशी मेडिकल डिवाइसेज के उत्पादन में वृद्धि से भारतीय कंपनियां वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकेंगी। यह भारत को मेडटेक क्षेत्र में एक प्रमुख निर्यातक के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
चुनौतियां और भविष्य की दिशा
हालांकि पीएलआई योजना मेडटेक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है, फिर भी कुछ चुनौतियां हैं जिनका सामना करना पड़ सकता है। इनमें शामिल हैं:
- तकनीकी बाधाएं: मेडिकल डिवाइसेज का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें उच्च स्तर की तकनीकी विशेषज्ञता और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। भारतीय कंपनियों को वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए अपने तकनीकी आधार को और मजबूत करना होगा।
- नियामक अनुपालन: मेडिकल डिवाइसेज को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय नियामक मानकों का पालन करना होता है। कंपनियों को इन मानकों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
- वित्तीय संसाधन: हालांकि पीएलआई योजना वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, फिर भी कंपनियों को प्रारंभिक निवेश के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है।
भविष्य में, सरकार को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीतिगत सुधारों और अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी। साथ ही, मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच सहयोग को और मजबूत करना होगा।
केंद्र सरकार की पीएलआई योजना मेडटेक क्षेत्र में एक गेम-चेंजर साबित हो रही है। 133.95 करोड़ रुपये का वितरण और 13 अन्य परियोजनाओं का कार्यान्वयन इस बात का प्रमाण है कि भारत मेडिकल डिवाइसेज के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मेडटेक कंपनियों की सफलता अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस योजना के माध्यम से भारत न केवल अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक मेडटेक बाजार में भी अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है। भविष्य में, इस योजना के तहत और अधिक कंपनियों को शामिल करने और प्रोत्साहन राशि के वितरण को बढ़ाने से भारत मेडिकल डिवाइसेज के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बन सकता है।