प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP), जिसे आमतौर पर जन औषधि योजना के नाम से जाना जाता है, ने लाखों भारतीयों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाने में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। हाल ही में राज्यसभा में रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि इस योजना ने पिछले 11 वर्षों में नागरिकों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग ₹38,000 करोड़ की बचत कराई है।
किफायती स्वास्थ्य सेवा की दिशा में मील का पत्थर
2008 में शुरू और 2015 में मोदी सरकार द्वारा पुनर्जनन की गई जन औषधि योजना का उद्देश्य जन औषधि केंद्रों (JAKs) के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं किफायती कीमतों पर उपलब्ध कराना है। 30 जून, 2025 तक देश भर में 16,912 जन औषधि केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे सस्ती दवाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित हुई है।
मंत्री पटेल के अनुसार, इस योजना के कारण पिछले 11 वर्षों में नागरिकों को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग ₹38,000 करोड़ की बचत हुई है। इस योजना ने घरों पर वित्तीय बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान के अनुसार, इस योजना ने स्वास्थ्य व्यय पर व्यक्तिगत खर्च को कम करने में बड़ा योगदान दिया है। 2014-15 में कुल स्वास्थ्य व्यय का 62.6% व्यक्तिगत खर्च था, जो 2021-22 तक घटकर 39.4% हो गया। यह इस योजना की सफलता का प्रमाण है।
जन औषधि योजना विभिन्न चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, योजना में शामिल हैं:
व्यापक कवरेज और उत्पादों की रेंज
- 2,110 दवाएं, जो हृदय रोग, मधुमेह, संक्रमण-रोधी और अन्य प्रमुख चिकित्सीय समूहों को कवर करती हैं।
- 315 सर्जिकल उपकरण, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएं और डिवाइस, जिनमें 61 प्रकार के सर्जिकल उपकरण शामिल हैं।
ये उत्पाद WHO-GMP प्रमाणित निर्माताओं से प्राप्त किए जाते हैं, जो गुणवत्ता के साथ-साथ किफायती कीमतों को सुनिश्चित करते हैं। योजना का उत्पाद बास्केट सभी आय वर्गों के मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बिक्री के मामले में, इस योजना ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹1,470 करोड़ की दवाएं बिकीं, जबकि 2024-25 में बिक्री ₹2,022.47 करोड़ तक पहुंच गई, जो इन केंद्रों पर बढ़ते भरोसे और निर्भरता को दर्शाता है।
व्यक्तिगत स्वास्थ्य खर्च में कमी
उच्च व्यक्तिगत स्वास्थ्य खर्च लंबे समय से भारतीय परिवारों, विशेष रूप से ग्रामीण और कम सेवा वाले क्षेत्रों में एक चुनौती रहा है। जन औषधि योजना ने जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध कराकर इस समस्या का समाधान किया है। उदाहरण के लिए:
- ₹100 की कीमत वाली ब्रांडेड दवा जन औषधि केंद्र पर केवल ₹20-50 में उपलब्ध हो सकती है।
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियों के लिए आवश्यक दवाएं अब लाखों लोगों की पहुंच में हैं।
इस किफायतीपन ने न केवल परिवारों पर वित्तीय तनाव को कम किया है, बल्कि उपचार के प्रति बेहतर अनुपालन को भी सुनिश्चित किया है, जिससे समग्र स्वास्थ्य परिणाम बेहतर हुए हैं। व्यक्तिगत खर्च में कमी आयुष्मान भारत जैसी पहलों के तहत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाएं
सस्ती दवाओं तक पहुंच को और बढ़ाने के लिए, सरकार ने मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस विस्तार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हों, जिससे स्वास्थ्य खर्च और कम हो।
भारतीय औषधि और चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (PMBI), जो इस योजना को संचालित करता है, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने, जागरूकता बढ़ाने और उद्यमियों को नए JAKs खोलने के लिए प्रोत्साहित करने पर काम कर रहा है। वित्तीय सहायता और सरलीकृत लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं जैसे प्रोत्साहन इस विस्तार को समर्थन देने के लिए दिए जा रहे हैं।

बचत से परे प्रभाव
जन औषधि योजना केवल वित्तीय बचत तक सीमित नहीं है; यह जीवन को बदलने का काम कर रही है। इसके कुछ अतिरिक्त लाभ हैं:
- बेहतर पहुंच: JAKs शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रणनीतिक रूप से स्थापित किए गए हैं, जिससे कम सेवा वाले समुदायों को दवाएं उपलब्ध हो रही हैं।
- गुणवत्ता आश्वासन: सभी दवाओं की गुणवत्ता की जांच की जाती है, जो कड़े मानकों को पूरा करती हैं।
- महिला सशक्तिकरण: कई JAKs महिला उद्यमियों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, जो आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहे हैं।
- रोजगार सृजन: योजना ने JAKs की स्थापना और संचालन के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।
वास्तविक प्रभाव: जमीनी कहानियां
इस योजना की सफलता उन अनगिनत भारतीयों की कहानियों में दिखती है, जिन्हें इसका लाभ मिला है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण क्षेत्र में मधुमेह के मरीज अब मेटफॉर्मिन की एक महीने की खुराक ₹50 से कम में खरीद सकते हैं, जबकि ब्रांडेड संस्करण की कीमत ₹200 से अधिक है। इसी तरह, कैंसर रोगियों ने जीवन रक्षक दवाओं पर काफी बचत की सूचना दी है, जिससे वे वित्तीय संकट के बिना उपचार जारी रख सकते हैं।
X पर हाल ही में एक पोस्ट में इस योजना के प्रभाव को उजागर किया गया: “जन औषधि केंद्र मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए वरदान हैं। हजारों रुपये की दवाएं अब कुछ सौ रुपये में मिल रही हैं। यही असली स्वास्थ्य सुधार है!”
चुनौतियां और भविष्य की राह
अपनी सफलता के बावजूद, जन औषधि योजना को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- जागरूकता की कमी: कई लोग अभी भी JAKs के बारे में नहीं जानते या जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता के बारे में गलत धारणाएं रखते हैं।
- आपूर्ति श्रृंखला समस्याएं: दूरदराज के क्षेत्रों में दवाओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना एक रसद चुनौती है।
- प्रतिस्पर्धा: ब्रांडेड दवाएं अभी भी फार्मास्युटिकल कंपनियों के आक्रामक विपणन के कारण बाजार पर हावी हैं।
इन मुद्दों को हल करने के लिए, सरकार निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित कर रही है:
- जागरूकता अभियान: मीडिया, सोशल प्लेटफॉर्म और सामुदायिक आउटरीच के माध्यम से जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
- लॉजिस्टिक्स को मजबूत करना: दवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला दक्षता में सुधार।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग: डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि विश्वास बढ़े।
जन औषधि योजना इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि सरकारी पहलें स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और किफायतीपन को कैसे बदल सकती हैं। 11 वर्षों में ₹38,000 करोड़ की बचत के साथ, इस योजना ने लाखों भारतीयों को बिना आर्थिक तनाव के गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्राप्त करने में सशक्त बनाया है। 2027 तक 25,000 JAKs तक विस्तार करने के लक्ष्य के साथ, एक स्वस्थ और अधिक समान भारत का भविष्य आशाजनक दिखता है।
जन औषधि केंद्रों के बारे में अधिक जानकारी के लिए या अपने नजदीकी केंद्र का पता लगाने के लिए, आधिकारिक PMBJP वेबसाइट पर जाएं या अपने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें। आइए इस परिवर्तनकारी पहल के बारे में जागरूकता फैलाएं और सुनिश्चित करें कि किफायती स्वास्थ्य सेवा देश के हर कोने तक पहुंचे।