भारत में कृषि क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए सरकार ने नैनो उर्वरकों के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 29 जुलाई 2025 को राज्यसभा में जानकारी दी कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तीन नए संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इन संयंत्रों की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 17 करोड़ बोतलें होगी, जो किसानों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगी। यह कदम न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा देगा।
नैनो उर्वरक संयंत्रों की वर्तमान स्थिति
अनुप्रिया पटेल ने अपने लिखित जवाब में बताया कि वर्तमान में देश में उर्वरक कंपनियों द्वारा सात नैनो यूरिया संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनकी कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 27.22 करोड़ बोतलें (प्रत्येक में 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया) है। इसके साथ ही, तीन नैनो डीएपी संयंत्र भी कार्यरत हैं, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 7.64 करोड़ बोतलें है। इन संयंत्रों की स्थापना के बाद से अब तक, देश भर में, विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्रों में, 10.68 करोड़ बोतल नैनो यूरिया और 2.75 करोड़ बोतल नैनो डीएपी की बिक्री हो चुकी है।
इसके अलावा, भारतीय उर्वरक और सहकारी समिति (IFFCO) ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे नवाचारों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। IFFCO के नैनो यूरिया को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है और इसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (FCO) में शामिल किया गया है। एक 500 मिलीलीटर की नैनो यूरिया बोतल पारंपरिक 45 किलोग्राम यूरिया बैग के बराबर प्रभाव प्रदान करती है, जिससे किसानों की लागत और श्रम दोनों में कमी आती है।
तीन नए संयंत्र: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
नैनो उर्वरकों की बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार ने तीन और नए संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 17 करोड़ बोतल प्रति वर्ष होगी। यह पहल न केवल नैनो उर्वरकों की उपलब्धता बढ़ाएगी, बल्कि भारत को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। 2023 में, केंद्रीय उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने घोषणा की थी कि 2025 तक नैनो यूरिया संयंत्रों की संख्या 6 से बढ़ाकर 13 की जाएगी, जिससे 44 करोड़ 500 मिलीलीटर बोतलों का उत्पादन संभव होगा।
ये नए संयंत्र न केवल घरेलू मांग को पूरा करेंगे, बल्कि उर्वरक आयात पर निर्भरता को कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद करेंगे। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य 2025-26 तक यूरिया उत्पादन में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
सरकार का प्रचार और समर्थन
केंद्र सरकार इन संयंत्रों की स्थापना में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है, लेकिन नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW) ने राज्यों को नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अपने विस्तार तंत्र का उपयोग करने का निर्देश दिया है। खरीफ 2024 सीजन के लिए आयोजित जोनल सम्मेलन में इस दिशा में विशेष जोर दिया गया।
प्रमुख योजनाओं में एकीकरण
नैनो उर्वरकों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) और राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (NMEO) जैसी प्रमुख योजनाओं में शामिल किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (SAUs) के मार्गदर्शन में इन उर्वरकों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए देश भर में प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
जागरूकता और तकनीकी पहल
नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है:
- जागरूकता अभियान: शिविर, वेबिनार, किसान सम्मेलन और क्षेत्रीय भाषाओं में शैक्षिक फिल्मों के माध्यम से किसानों को नैनो उर्वरकों के लाभों के बारे में बताया जा रहा है।
- उपलब्धता: नैनो उर्वरक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSK) पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं और इन्हें उर्वरक विभाग की मासिक आपूर्ति योजनाओं में शामिल किया गया है।
- आधुनिक तकनीक: नैनो उर्वरकों के कुशल उपयोग के लिए किसान ड्रोन, बैटरी चालित स्प्रेयर, और ग्रामीण स्तर के उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने डेमो और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए हैं।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान: ICAR द्वारा एक राष्ट्रीय अभियान और उर्वरक विभाग द्वारा “महा अभियान” शुरू किया गया है, जो देश के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नैनो डीएपी और नैनो यूरिया प्लस के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है।
गुजरात में नैनो उर्वरक सब्सिडी योजना
4 जुलाई 2024 को, केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात में AGR-2 योजना के तहत नैनो उर्वरकों की खरीद के लिए किसानों को 50% सब्सिडी प्रदान करने वाली एक महत्वपूर्ण कृषि पहल शुरू की। यह योजना 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए लागू की गई है और इसे ‘सहकार से समृद्धि’ सम्मेलन में लॉन्च किया गया, जो 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के साथ मेल खाता है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को नैनो उर्वरकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना और उनकी लागत को कम करना है।
नैनो उर्वरकों के लाभ
नैनो उर्वरक, जैसे नैनो यूरिया और नैनो डीएपी, पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में कई लाभ प्रदान करते हैं:
- उच्च दक्षता: नैनो उर्वरकों का आकार 20-50 नैनोमीटर होने के कारण ये पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं, जिससे पोषक तत्वों की बर्बादी कम होती है।
- पर्यावरण के अनुकूल: ये उर्वरक मिट्टी और जल प्रदूषण को कम करते हैं, जिससे टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है।
- लागत प्रभावी: एक 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया बोतल की कीमत 240 रुपये है, जो 45 किलोग्राम यूरिया बैग (लगभग 266 रुपये) की तुलना में सस्ती और सुविधाजनक है।
- बढ़ी हुई पैदावार: नैनो उर्वरक फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- जल संरक्षण: नैनो उर्वरक फसलों की जल धारण क्षमता को बढ़ाते हैं, जो विशेष रूप से सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उपयोगी है।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
हालांकि नैनो उर्वरकों के कई लाभ हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। नैनो उर्वरकों के दीर्घकालिक प्रभाव, जैसे मिट्टी और जल में नैनोकणों का संचय, अभी पूरी तरह से समझा नहीं गया है। इसके लिए और अधिक शोध और क्षेत्र परीक्षणों की आवश्यकता है। इसके अलावा, नैनो उर्वरकों के उत्पादन और वितरण के लिए मानकीकृत नियमों की कमी के कारण गुणवत्ता नियंत्रण एक चुनौती बना हुआ है।
फिर भी, नैनो उर्वरक भारत में कृषि क्षेत्र को बदलने की क्षमता रखते हैं। सरकार के सक्रिय प्रयास, जैसे नए संयंत्रों की स्थापना, सब्सिडी योजनाएँ, और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग, नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को देश के हर किसान तक पहुँचाने में मदद कर रहे हैं। यह पहल न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को भी प्राप्त करने में योगदान देगी।
नैनो उर्वरक भारत की कृषि क्रांति का अगला कदम साबित हो सकते हैं। तीन नए संयंत्रों की स्थापना, सरकार की सब्सिडी योजनाएँ, और जागरूकता अभियानों के साथ, नैनो उर्वरक किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। यह समय है कि किसान इन नवाचारों को अपनाएँ और अपनी खेती को और समृद्ध बनाएँ। सरकार और सहकारी समितियों जैसे IFFCO के संयुक्त प्रयास भारत को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।