भारत, एक कृषि-प्रधान देश, जहां की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा खेती-किसानी पर निर्भर करता है, के लिए उर्वरकों की उपलब्धता और समयबद्ध आपूर्ति खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण है। हाल ही में, केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) में डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और यूरिया जैसे प्रमुख उर्वरकों के आयात से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े प्रस्तुत किए। अनुप्रिया पटेल जी द्वारा साझा किए गए डेटा का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में DAP और यूरिया के आयात, घरेलू मांग, दीर्घकालिक आपूर्ति रणनीतियों, और सरकार की नीतियों पर विस्तृत चर्चा शामिल है।

खरीफ सीजन 2025: DAP आयात का परिदृश्य
अनुप्रिया पटेल जी ने अपने लिखित जवाब में बताया कि भारत ने अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में कुल 9.74 लाख टन डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का आयात किया, ताकि खरीफ फसलों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। महीने-दर-महीने आंकड़े इस प्रकार हैं:
- अप्रैल 2025: 2.89 लाख टन
- मई 2025: 2.36 लाख टन
- जून 2025: 4.49 लाख टन
जून में आयात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो खरीफ सीजन की शुरुआत और बुआई की तैयारियों के साथ संरेखित है। खरीफ फसलें, जैसे धान, मक्का, और दलहन, जून में शुरू होने वाले मानसून के साथ बोई जाती हैं। DAP, जो फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व प्रदान करता है, इन फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। अनुप्रिया पटेल जी ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 की मांग को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यापक तैयारी कर रखी थी, जिससे उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हुई।
DAP आयात: वर्ष-दर-वर्ष रुझान
संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में DAP का आयात पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव के साथ धीरे-धीरे कम हुआ है। यह रुझान घरेलू उत्पादन में वृद्धि और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने की सरकारी नीतियों को दर्शाता है। आंकड़े इस प्रकार हैं:
- 2024-25: 45.69 लाख टन
- 2023-24: 55.67 लाख टन
- 2022-23: 65.83 लाख टन
- 2021-22: 54.62 लाख टन
- 2020-21: 48.82 लाख टन
2022-23 में DAP आयात अपने चरम पर था, लेकिन 2024-25 में यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 10 लाख टन कम रहा। अनुप्रिया पटेल जी ने बताया कि यह कमी नैनो-DAP जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग और घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण संभव हुई। सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते और नैनो उर्वरकों को बढ़ावा देना शामिल है।
यूरिया आयात: कृषि का आधारभूत उर्वरक
DAP के साथ-साथ, यूरिया भी भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण उर्वरक है। अनुप्रिया पटेल जी ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में यूरिया का आयात 56.47 लाख टन रहा। पिछले वर्षों के आंकड़े इस प्रकार हैं:
- 2023-24: 70.42 लाख टन
- 2022-23: 75.80 लाख टन
- 2021-22: 91.36 लाख टन
- 2020-21: 98.28 लाख टन
यूरिया आयात में भी कमी का रुझान स्पष्ट है। अनुप्रिया पटेल जी ने इस कमी का श्रेय नीम-कोटेड यूरिया, नैनो-यूरिया, और यूरिया संयंत्रों के पुनरुद्धार को दिया। ये कदम सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।

बढ़ती मांग के पीछे कारण
अनुप्रिया पटेल जी ने अपने बयान में बताया कि 2025 के खरीफ सीजन में उर्वरकों की मांग पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रही। इसके प्रमुख कारण हैं:
- बुआई क्षेत्र में वृद्धि: 2025 में खरीफ फसलों के लिए बुआई क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे DAP और यूरिया की मांग बढ़ी।
- अनुकूल मानसून: इस वर्ष अनुकूल मानसून ने किसानों को अधिक बुआई के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उर्वरकों की आवश्यकता बढ़ी।
इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने आयात, घरेलू उत्पादन, और लॉजिस्टिक्स में सुधार के माध्यम से उर्वरकों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की।
न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) नीति: किसानों के लिए राहत
भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) नीति लागू की है। इस नीति के तहत उर्वरकों में मौजूद पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) की मात्रा के आधार पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे किसानों को किफायती दरों पर उर्वरक उपलब्ध हो सकें। DAP और अन्य फॉस्फेटिक उर्वरक ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत आयात किए जाते हैं, जिससे कंपनियां बाजार की मांग के अनुसार स्वतंत्र रूप से आयात कर सकती हैं।
2024-25 में, वैश्विक बाजार में DAP की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, सरकार ने एक विशेष पैकेज की घोषणा की। इसके तहत, 1 अप्रैल 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक DAP पर 3,500 रुपये प्रति टन की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है, जिसका वित्तीय प्रभाव लगभग 2,625 करोड़ रुपये है। अनुप्रिया पटेल ने बताया कि यह कदम किसानों को किफायती उर्वरक प्रदान करने और आयातकों को वैश्विक मूल्य अस्थिरता से बचाने के लिए उठाया गया है।
दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते: आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता
भूराजनीतिक संकटों, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध और लाल सागर संकट, ने वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, भारतीय उर्वरक कंपनियों ने उत्पादक देशों के साथ दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते किए हैं। अनुप्रिया पटेल ने जोर देकर कहा कि ये समझौते आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर रखते हैं और वैश्विक संकटों के दौरान भी उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने रेल मंत्रालय, बंदरगाह प्राधिकरणों, और राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर उर्वरकों को मांग-गहन क्षेत्रों में तेजी से पहुंचाने की व्यवस्था की है। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को बुआई के महत्वपूर्ण समय पर उर्वरक उपलब्ध हों।
वैकल्पिक उर्वरक: नैनो-DAP और नैनो-यूरिया
आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने नैनो-DAP और नैनो-यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना शुरू किया है। ये उर्वरक न केवल लागत प्रभावी हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी सहायक हैं। अनुप्रिया पटेल ने भारतीय उर्वरक संघ (FAI) के एक सेमिनार में कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती और मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। नैनो उर्वरकों का उपयोग मिट्टी में पोषक तत्वों के अत्यधिक उपयोग को कम करता है और फसल उत्पादकता को बढ़ाता है।
चुनौतियां और सरकारी समाधान
2024-25 में, भूराजनीतिक संकटों ने उर्वरक आपूर्ति को प्रभावित किया, विशेष रूप से सितंबर-अक्टूबर 2024 में, जब रबी फसलों की बुआई के लिए DAP की कमी देखी गई। अनुप्रिया पटेल ने बताया कि सरकार ने इन चुनौतियों का त्वरित समाधान किया:
- विशेष सब्सिडी पैकेज: DAP पर 3,500 रुपये प्रति टन की अतिरिक्त सब्सिडी।
- दीर्घकालिक समझौते: आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने के लिए उत्पादक देशों के साथ करार।
- वैकल्पिक उर्वरक: नैनो-DAP और नैनो-यूरिया को बढ़ावा।
- लॉजिस्टिक्स में सुधार: रेलवे, बंदरगाहों, और राज्य सरकारों के साथ समन्वय।
इन उपायों ने यह सुनिश्चित किया कि किसानों को समय पर उर्वरक मिले और फसल उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
अनुप्रिया पटेल जी द्वारा प्रस्तुत DAP और यूरिया आयात के आंकड़े भारत की कृषि नीतियों की मजबूती और दूरदर्शिता को दर्शाते हैं। खरीफ 2025 की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने आयात, घरेलू उत्पादन, और नवाचारों को संतुलित किया। NBS नीति और दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों ने किसानों को किफायती उर्वरक उपलब्ध कराए, जबकि नैनो उर्वरकों और प्राकृतिक खेती ने आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाए। अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के किसानों को समय पर और किफायती उर्वरक उपलब्ध हों। भविष्य में, ये प्रयास कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करेंगे, जो भारत की कृषि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।