देश भर में एमबीबीएस सीटों की संख्या में काफी वृद्धि के बावजूद, हाल के शैक्षणिक वर्षों में स्नातक चिकित्सा सीटों की एक उल्लेखनीय संख्या खाली रह गई है, यह बात केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्वीकार की है।
एलुरु के सांसद पुट्टा महेश कुमार के एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 2021-22 में 2,012 स्नातक चिकित्सा सीटें खाली रह गईं, इसके बाद 2022-23 में 4,146, 2023-24 में 2,959 और 2024-25 में 2,849 सीटें खाली रहीं। ये आंकड़े राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से प्राप्त किए गए हैं और इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों में एमबीबीएस सीटों की संख्या में 39% की वृद्धि की है – 2020-21 में 83,275 सीटों से बढ़कर 2024-25 में 1,15,900 सीटें हो गई हैं। इसके बावजूद, रिक्तियां बनी हुई हैं, जो चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच, इसकी वहनीयता और संस्थानों के असमान वितरण से संबंधित चिंताओं को उजागर करती हैं।
गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार ने ‘न्यूनतम मानक आवश्यकताएं-2023’ (Minimum Standard Requirements–2023) लागू की हैं। इन मानकों के तहत, प्रत्येक 50 छात्रों के लिए 220 बेड वाला अस्पताल और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अनिवार्य नैदानिक प्रशिक्षण जैसी बुनियादी ढांचागत आवश्यकताओं को अनिवार्य किया गया है। इन उपायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चिकित्सा संस्थान उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करें और छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो।
स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की पहल
केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत, 157 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 131 कॉलेज वर्तमान में संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा, 75 सुपर-स्पेशियलिटी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 71 पूरी हो चुकी हैं।
इसके साथ ही, 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (AIIMS) में से 19 ने स्नातक पाठ्यक्रम शुरू कर दिए हैं। ये प्रयास भारत में स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
चुनौतियां और भविष्य की दिशा
खाली रहने वाली सीटें न केवल संसाधनों की बर्बादी को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी संकेत देती हैं कि चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच और इसकी वहनीयता के मामले में अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेजों की कमी, उच्च शुल्क संरचना, और प्रवेश प्रक्रिया में जटिलताएं जैसे कारक इन रिक्तियों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
केंद्र सरकार इन समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, बुनियादी ढांचे का विस्तार, और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि सरकार न केवल चिकित्सा शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दे रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि ये सीटें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थानों में उपलब्ध हों। हालांकि, खाली सीटों की समस्या को हल करने के लिए नीतिगत सुधारों, क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने, और शिक्षा को और अधिक किफायती बनाने की दिशा में और प्रयासों की आवश्यकता है।