भारत का फार्मा क्षेत्र आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर
23 जुलाई, 2025 को केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल जी ने संसद में एक ऐतिहासिक घोषणा की, जो भारत के फार्मास्यूटिकल और मेडटेक उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सरकार ने कई सशक्त योजनाएं शुरू की हैं, जो न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देंगी, बल्कि भारत को वैश्विक फार्मा बाजार में अग्रणी बनाएंगी। यह लेख अनुप्रिया पटेल जी की इन पहलों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो स्वास्थ्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एक ठोस आधार तैयार कर रही हैं।
फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नींव
भारत, जिसे विश्व का “फार्मेसी” कहा जाता है, अपनी सस्ती जेनेरिक दवाओं और वैक्सीन के लिए जाना जाता है। फिर भी, कच्चे माल और सक्रिय फार्मास्यूटिकल सामग्रियों (APIs) के आयात पर निर्भरता एक बड़ी चुनौती रही है। अनुप्रिया पटेल ने इस चुनौती से निपटने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की घोषणा की, जो निम्नलिखित हैं:
1. प्रमोशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेशन इन फार्मा मेडटेक सेक्टर (PRIP) योजना
- इस योजना के तहत 5,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जो ड्रग डिस्कवरी, मेडिकल डिवाइस, और बायोलॉजिकल थेरेप्यूटिक्स जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगा।
- सात राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों (NIPERs) में उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) स्थापित किए गए हैं, जिनमें 700 करोड़ रुपये का निवेश होगा। ये केंद्र एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल ड्रग्स, फ्लो केमिस्ट्री, और नोवेल ड्रग डिलीवरी सिस्टम पर काम कर रहे हैं।
- अब तक 104 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, और दो पेटेंट दायर किए गए हैं। यह योजना उद्योग और स्टार्टअप्स के लिए 4,250 करोड़ रुपये का समर्थन भी प्रदान करेगी, जो अकादमिक सहयोग को बढ़ाएगी।

2. प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना
- 15,000 करोड़ रुपये की इस योजना का उद्देश्य जटिल जेनेरिक्स, बायोसिमिलर्स, और एंटी-कैंसर दवाओं के उत्पादन को बढ़ाना है। 55 कंपनियों ने 17,275 करोड़ रुपये का निवेश प्रतिबद्ध किया, जिसमें से 27,453 करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश हो चुका है।
- काकीनाडा में पेनिसिलिन G परियोजना (1,910 करोड़ रुपये) और नालागढ़ में क्लेवुलैनिक एसिड परियोजना (450 करोड़ रुपये) ने वार्षिक 3,300 करोड़ रुपये के आयात प्रतिस्थापन को संभव बनाया है।
- 25 बल्क ड्रग्स के लिए 34 परियोजनाएं शुरू हुईं, जो निर्यात वृद्धि और आत्मनिर्भरता को बढ़ाएंगी।
3. बल्क ड्रग्स और APIs के लिए PLI योजना
- यह योजना आयात पर निर्भरता (जैसे चीन से 66% API आपूर्ति) को कम करने के लिए 48 परियोजनाओं को समर्थन देती है। यह मेक इन इंडिया के तहत घरेलू उत्पादन को मजबूत करेगी।
4. स्ट्रेंथनिंग ऑफ फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री स्कीम
- API-CF उप-योजना के तहत 139.33 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जो 1,300 से अधिक इकाइयों को लाभान्वित करेगी और नए विनिर्माण केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी। साझा बुनियादी ढांचे जैसे टेस्टिंग लैब्स और अपशिष्ट उपचार संयंत्र इसकी मुख्य विशेषता हैं।
5. रिवैम्प्ड फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन सहायता योजना (RPTUAS)
- छोटी और मध्यम कंपनियों के लिए 135.84 करोड़ रुपये की सहायता मंजूर की गई है, जो शेड्यूल M और WHO-GMP मानकों को पूरा करने में मदद करेगी। 142 इकाइयों को इस योजना का लाभ मिलेगा।
उपलब्धियां: एक नई शुरुआत
अनुप्रिया पटेल जी ने बताया कि इन योजनाओं ने पिछले छह वर्षों में दवाओं का निर्यात 92% बढ़ाकर 2,45,962 करोड़ रुपये (FY 2024-25) तक पहुंचाया है, जो FY 2018-19 के 1,28,028 करोड़ रुपये से उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। PLI योजना ने 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया, जिसमें 30 और परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। PRIP योजना के उत्कृष्टता केंद्र नवाचार को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं, जबकि API-CF और RPTUAS छोटे उद्यमों को वैश्विक मानकों तक ले जाने में सहायक हैं। ये कदम भारत को जेनेरिक दवाओं और वैक्सीन के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
चुनौतियां और समाधान
फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की राह में चुनौतियां भी हैं, जैसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और R&D में निवेश की कमी। अनुप्रिया पटेल जी ने इनका समाधान दीर्घकालिक रणनीतियों के माध्यम से किया है। PLI और PRIP योजनाएं नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं, जबकि दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते आयात पर निर्भरता को कम कर रहे हैं। सरकार का जोर बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर है, जो छोटी कंपनियों को भी लाभ पहुंचा रहा है।
भविष्य की दृष्टि: विकसित भारत 2047
अनुप्रिया पटेल जी ने भविष्य की दृष्टि को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के तहत, फार्मा क्षेत्र 2030 तक 130 बिलियन डॉलर के बाजार तक पहुंच सकता है। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के लिए, सरकार का फोकस आयात प्रतिस्थापन, R&D, और समान स्वास्थ्य सुविधा पर है। नैनो-टेक्नोलॉजी और बायोटेक में निवेश, साथ ही आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों के विस्तार से स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। अनुप्रिया पटेल का मानना है कि ये कदम भारत को वैश्विक फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में अग्रणी बनाएंगे, जहां किफायती दवाएं और वैक्सीन विश्व भर में पहुंचेंगी। यह दृष्टि न केवल आर्थिक विकास को बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुधार लाएगी, जिससे भारत एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेगा।

अनुप्रिया पटेल जी के नेतृत्व में फार्मा क्षेत्र में शुरू की गई ये योजनाएं भारत को आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रही हैं। PLI, PRIP, और RPTUAS जैसी पहल न केवल उत्पादन को बढ़ाएंगी, बल्कि नवाचार और रोजगार सृजन को भी प्रोत्साहित करेंगी। भविष्य में, ये कदम भारत को 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जहां फार्मा क्षेत्र स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।