नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस) – केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारत में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली पैरासिटामोल दवा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह बयान केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के हवाले से दिया गया है।
संसद में दिया गया जवाब
चल रहे मॉनसून सत्र के दौरान संसद में एक सवाल के जवाब में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सूचित किया है कि सीडीएससीओ को पैरासिटामोल दवा पर प्रतिबंध लगाने की अफवाहों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “पैरासिटामोल पर देश में कोई प्रतिबंध नहीं है।” हालांकि, उन्होंने यह जरूर बताया कि पैरासिटामोल के साथ अन्य दवाओं के कुछ निश्चित खुराक संयोजनों (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन) पर देश में प्रतिबंध लगाया गया है।
पैरासिटामोल एक व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, जो दर्द और बुखार को कम करने के लिए जानी जाती है। यह विभिन्न ब्रांड्स और जेनेरिक रूपों में उपलब्ध है और भारत में इसे कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए प्राथमिक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। हाल के समय में कुछ अफवाहें थीं कि इस दवा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुफ्त दवा सेवा
अनुप्रिया पटेल ने अपने बयान में यह भी बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मुफ्त दवा सेवा पहल शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, जैसे सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों के लिए जेब से होने वाले खर्च को कम करना है।
इस पहल के तहत, राज्यों को आवश्यक दवाओं की खरीद, गुणवत्ता आश्वासन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, और भंडारण प्रणालियों को मजबूत करने या स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट, शिकायत निवारण, और मानक उपचार दिशानिर्देशों के प्रसार के लिए भी समर्थन दिया जाता है। इसके लिए एक सूचना-प्रौद्योगिकी आधारित मंच, जिसे ड्रग्स एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (डीवीडीएमएस) के नाम से जाना जाता है, स्थापित किया गया है। यह मंच आवश्यक दवाओं की खरीद और उपलब्धता की वास्तविक स्थिति की निगरानी के लिए उपयोग किया जाता है।
आवश्यक दवाओं की सूची
पटेल ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, जैसे सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधा-वार आवश्यक दवाओं की सूची की सिफारिश की है। इस सूची में शामिल दवाओं की संख्या विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों के लिए अलग-अलग है:
- उप स्वास्थ्य केंद्र (सब हेल्थ सेंटर्स): 106 दवाएं
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स): 172 दवाएं
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स): 300 दवाएं
- उप-जिला अस्पताल (सब-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स): 318 दवाएं
- जिला अस्पताल (डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स): 381 दवाएं
इसके साथ ही, राज्यों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस सूची में और दवाएं जोड़ने की भी छूट दी गई है। यह लचीलापन यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला
सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं में आवश्यक दवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, मेडिकल स्टोर्स ऑर्गनाइजेशन (एमएसओ) और सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो (जीएमएसडी) ने 697 दवा फॉर्मूलेशन के लिए सक्रिय दर अनुबंध (रेट कॉन्ट्रैक्ट्स) तैयार किए हैं।
पटेल ने बताया कि एमएसओ के पास देश भर में 1,152 पंजीकृत इंडेंटर्स हैं, जिनमें सरकारी अस्पताल और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। ये इंडेंटर्स एमएसओ-डीवीडीएमएस एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक वित्तीय वर्ष में चार बार दवाओं की आपूर्ति के लिए मांग रख सकते हैं। यह प्रणाली दवाओं की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पैरासिटामोल और अन्य दवाओं पर प्रतिबंध
हालांकि पैरासिटामोल पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन अनुप्रिया पटेल ने यह स्पष्ट किया कि कुछ निश्चित खुराक संयोजनों (फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन्स) पर प्रतिबंध लगाया गया है। ये संयोजन ऐसी दवाएं हैं जिनमें पैरासिटामोल को अन्य सक्रिय अवयवों के साथ मिलाया जाता है। इन संयोजनों पर प्रतिबंध का कारण आमतौर पर उनकी सुरक्षा, प्रभावकारिता, या संभावित दुरुपयोग से संबंधित चिंताएं होती हैं।
सीडीएससीओ समय-समय पर दवाओं की सुरक्षा और प्रभावकारिता की समीक्षा करता है और आवश्यकता पड़ने पर नियामक कार्रवाइयां करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में उपलब्ध दवाएं मरीजों के लिए सुरक्षित और प्रभावी हों।
मुफ्त दवा पहल का महत्व
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुफ्त दवा सेवा पहल का उद्देश्य न केवल दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाना और गरीब और कमजोर वर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को सस्ता बनाना भी है। यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं और दवाओं की उपलब्धता अक्सर सीमित होती है।
इसके अलावा, डीवीडीएमएस जैसे डिजिटल मंच दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला को पारदर्शी और कुशल बनाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि दवाओं की कमी या देरी जैसी समस्याओं को कम किया जा सके।
अनुप्रिया पटेल के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि पैरासिटामोल, जो भारत में एक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली दवा है, पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आवश्यक दवाएं, जिनमें पैरासिटामोल भी शामिल है, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मुफ्त उपलब्ध हों। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुफ्त दवा सेवा और डीवीडीएमएस जैसे मंच यह सुनिश्चित करते हैं कि देश भर में मरीजों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सकें।
यह कदम न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाता है, बल्कि मरीजों के लिए आर्थिक बोझ को भी कम करता है। सरकार का यह प्रयास स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।